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एक बार की बात है जैसे ही श्री कृष्ण ने बंसी बजाना शुरू किया, तब सारी गोपियां इकट्ठे होकर यमुना तट पर जा पहुंची और कान्हा के आस पास नृत्य करने लगी।
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राधा रानी भी श्री कृष्ण की बंसी की धुन सुनकर खुद को रोक नहीं पाई और वो भी यमुना तट चली गई।
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ये दृश्य इतना सुखद था कि कोई भी देखने के लिए उत्साहित हो जाए। तो ऐसे में देवी-देवता पीछे कैसे रह सकते थे।
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अतः शास्त्रों में वर्णित है कि इस नजारे को आकाश से समस्त देवी-देवता देख रहे थे परंतु जब शिव जी ने ये सुंदर व लुभावना दृश्य देखा तो वो इस रासलीला में जान के लिए आतुर हो गए।
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भगवान शिव का भी उस रासलीला का आनंद लेने का मन हुआ, अतः वह स्वयं वृंदावन पहुंच गए।
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लेकिन नदी की देवी वृन ने उन्हें भीतर जाने नहीं दिया, चूंकि रासलीला में श्री कृष्ण के अलावा समस्त गोपियां थी।
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देवी वृन ने उन्हें बताया कि रासलीला में कोई भी पुरुष नहीं जा सकता।
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परंतु उनकी यानि शिव शंकर की व्याकुलता व उत्सुक्ता को देखते हुए उन्होंने उन्हें कहा कि अगर आप जाना चाहते हैं तो आपको महिला रूप में आना होगा।
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देवी के मुख से ये वचन सुनकर शिव शंकर दुविधा में पड़ गए और सोच विचार करने लगे।
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दूसरी ओर रासलीला का अंत होने वाला था। शिव जी के लिए ये स्थिति बहुत ही विलक्षण थी क्योंकि शिव जी पौरुष थे।
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परंतु श्री कृष्ण की रासलीला को देखने का मौका न हाथ से न चला जाए, ऐसा विचार कर भोलेनाथ समय व्यर्थ किए बिना तुरंत ही गोपी वेष धारण करने के लिए मान गए।
जिसके बाद देवी वृन ने उनको वस्त्र दिए।, जिन्हें पहनकर भगवान शंकर श्री कृष्ण की रासलीला का आनंद लेने के लिए निधिवन के भीतर चले गए।
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लेकिन लीलाधर श्री कृष्ण तीनों लोकों के नाथ भगवान शंकर को पहचानने में बिल्कुल देर नहीं लगाई और उनका ये मनमोहक गोपी रूप देखकर उनके इस स्वरूप को श्री कृष्ण ने गोपेश्वर नाम दे दिया।
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बता दें वृंदावन में गोपेश्वर नामक मंदिर है, जहां शिव जी को महिला रूप में पूजा जाता है इतना ही नहीं यहां इनका साज-श्रृंगार भी महिलाओं या गोपियों की तरह किया जाता है।
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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**जय श्री गुरुदेव जी**
*।।जय जय श्री राम।।*
*।।हर हर महादेव।।*